Sunday, November 25, 2018

आचार्य पं श्री गजाधर उपाध्याय

Sunday, November 11, 2018

नयका पुलवा

अचानक एक तेज आवाज कानों में सुनाई पड़ी या ऐसा भ्रम हुआ लगा जैसे कोई जोरों से चिल्ला रहा हो 'राम....नाम सत्य है।' 'अरे नहीं भाई ये किसी बस या गाड़ी की आवाज है नहीं तो नौ बजे रात को कहीं मजिल जाता है'
यहां से शीतलपुर स्टेशन मुश्किल से एक  किलोमीटर होगा। दस मिनट लगते हैं पैदल जाने में।
बरसात के दिनों में एक दूसरा रास्ता भी है केशरपुर वाला 'नयका पुलवा' से। मगर उधर से जाने में एक से सवा घंटा लग जाता है।
यहां ऐसा नहीं है कि गांव के लोगों के की इच्छा नहीं है कि पुल बने। पुल बने किंतु पुल के बनने का श्रेय यादव बहुल इलाके के लोग चाहते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल के विधायक जो अभी वर्तमान विधायक हैं उनको मिले।

Friday, November 9, 2018

मुख्य मंत्रीजी को अपनी समस्या सुनाते हुए।

मुख्यमंत्री जी को अपनी समस्या सुनाते हुए।

Wednesday, October 31, 2018

महाप्रसाद

ओशो...

मेरी एक संन्यासिनी है--माधुरी। उसकी मां भी संन्यासिनी है। उसकी मां ने मुझे कहा कि उसके तो केन्सर के आपरेशन में दोनों स्तन उसे गंवाने पड़े।

लेकिन डाक्टरों ने कहा, चिंता न करो, अब तुम्हें कोई नया विवाह तो करना भी नहीं है, उम्र भी तुम्हारी ज्यादा हो गई। और झूठे रबर के स्तन मिलते हैं, वे तुम अंदर पहन लो, बाहर से तो वैसे ही दिखाई पड़ेंगे।

 रबर के हों कि चमड़ी के हों, क्या फर्क पड़ता है? बाहर से तो वैसे ही दिखाई पड़ेंगे। सच तो यह है कि रबर के ज्यादा सुडौल होंगे।

तो वह रबर के स्तन पहनने लगी। मेक्सिको में रहती थी। कार से कहीं यात्रा पर जा रही थी। रास्ते में ट्रैफिक जाम हो गया तो रुकी। पुलिस का इंसपेक्टर पास आया।

खुद ही कार ड्राइव कर रही थी। वह एकटक उसके स्तन की तरफ देखता रह गया। उसे मजाक सूझा। बड़ी हिम्मतवर औरत है। उसने कहा, पसंद हैं?

एक क्षण को तो वह इंसपेक्टर डरा कि कोई झंझट खड़ी न हो।

मगर उसने कहा, नहीं, चिंता न करो, पसंद हैं?

उसने कहा कि सुंदर हैं। क्यों न पसंद होंगे? सुडौल हैं।

तो उसने कहा, यह लो, तुम्हीं ले लो। उसने दोनों स्तन निकाल कर दे दिए। अब जो उस पर गुजरी होगी बेचारे पर, जिंदगी भर न भूलेगा।

अब असली स्तन वाली स्त्री को भी देख कर एकटक अब नहीं देखेगा। अब कौन जाने असलियत क्या हो? रखे होगा वह रबर के स्तन अब, अपनी खोपड़ी से मारता होगा कि अच्छे बुद्धू बने।

मुझे उसकी घटना पसंद आई। मैंने कहा, तूने ठीक किया। तू तो और खरीद ले और बांटती चल। जो मिले उसको बांट ,देना।

 जितनों का छुटकारा हो जाए उतना अच्छा। मूढ़ हैं, बचकाने हैं--छुटकारा करो। जगह-जगह मिलेंगे इस तरह के लोग।

पिया को खोजन मैं चली-(प्रश्नोंत्तर)-प्रवचन-09

Sunday, October 21, 2018

Kalidas and Maa Saraswati

Kalidas said: - Give the mother water to drink, it will be virtuous.
Female speech: - Son, I do not know you. introduce yourself.
I must drink water.
Kalidas said: - I am a stroll, please give water to drink.
Female speech: - How can you be a wanderer, the path is only two, the sun and the moon, who never stop, always keep walking. Tell me the truth of who you are.
Kalidas said: - I am a guest, please give water.
Female speech: - How can you be a guest? There are only two guests in the world.
First Money and Second Youth It does not take time to know them. Tell the truth, who are you?
.
(All had lost their logic so far)
Kalidas said: - I am tolerant. Now let's drink water.
The woman said: - No, there are two tolerant ones. First, the earth, which sages the burden of sinful and full of sin. With the chest of his chest, he also gives grains of grain by giving seed, and the other trees who hit them still give sweet fruit. You are not tolerant Tell the truth who are you?
(Kalidas almost came to the state of unconsciousness and shouted with arguments)
Kalidas said: - I'm stubborn.
.
Female speech: - Then untrue. The stubbornness is the same - the first fingernail and the other hairstyle, how many bites come out frequently. Tell the truth, who are you Brahmin?
(Completely humiliated and defeated)
Kalidas said: - Then I'm stupid.
.
The woman said: - No, how can you be a fool?
The fools are only two The first king who rules all without qualification, and another court pundit who tries to prove the right to argue with the wrong thing to please the king.
(In case of failure to speak, Kalidas fell on the feet of the old man and started pleading for water solicitation)
The elder said: - Get up! (When Kalidas looked upstairs, Sakshat Mata Saraswati stood there, Kalidas again bowed down)
Mother said: - Education comes from knowledge and not ego. You received the honor and prestige you received on education and assumed your achievement and ego, so I had to give this mantra to open your eyesight.
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Kalidas understood his mistake, and after drinking water he went forward.
Education :-
Never boast of wisdom, it destroys prideful scholarship.
Two things should never be useless .....
Grains of grain
"And"
The moment of joy

Long live Shri Krishna ...

Wednesday, October 17, 2018

Pratham Adhyay Part 2

Durga saptshati Pratham Adhyay part 2

आचार्य पं श्री गजाधर उपाध्याय