मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन अपने पड़ोस में एक दानी के घर गया। और उसने कहा कि हालत बहुत खराब है और बच्चे भूखे मर रहे हैं; आज तो रोटी का भी इंतजाम नहीं, आटा भी नहीं खरीद सके, तो कुछ दान मिल जाए! तो उस आदमी ने कहा, जहां तक मैं समझता हूं, गांव में सर्कस आया है, और तुम जरूर ही, जो पैसे मैं तुम्हें दूंगा, उससे सर्कस देखोगे। उसने कहा, नहीं, आप उसकी फिक्र ही मत करो, उसके लिए तो हमने पैसे पहले ही बचा रखे हैं। सर्कस की तो कोई चिंता ही न करो आप।
यह ब्लाॅग सारण जिला ब्राह्मण महासभा के सौजन्य से समस्त सनातन धर्मावलम्बियों के लिए समर्पित है।
Wednesday, September 19, 2018
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आचार्य पं श्री गजाधर उपाध्याय
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Being arrogant, even loses in the field of knowledge- ------------------------------------------------ Knowledge grows in kn...
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जो सूर्यास्त के देश हैं, उनमें विज्ञान मिला है, वैज्ञानिक मिला है। जो सूर्योदय के देश ह...
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आज के दौर में दुनिया के सभी प्राचीन धर्मों की गर्दनों पर कम्युनिज्म अपनी उंगलीयां कस रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण त्रिविष्टप यानी तिब्बत है...
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