हमारे विप्र देव जिनकी मैं नित्य चरण वंदना करता हूं गृहस्थ होते हुए भी किसी संत से कम नहीं हैं। जबकी अगर आज के संतों को देखा जाए तो हमारे विप्र देवों के सामने वे दूर-दूर तक कहीं नहीं नजर आते। आज भी हमारे विप्र समाज में ऐसे लोग छिपे पड़े हैं जिन्हे परमात्मा का वास्तविक अनुभव है। वे तंत्र के गूढतम रहस्यों तथा कर्मकांड की अचूक विधियों को जानते हैं। हमारे त्रिकालदर्शी नित्य पूजनीय वंदनीय प्रत्यक्ष ब्रह्म अनेक रूप-नाम धारण कर सामान्य शांत सुखमय तथा प्रेम और दया भक्ति भाव से परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर भगवती धरयित्री को सुख दे रहे हैं।
यह ब्लाॅग सारण जिला ब्राह्मण महासभा के सौजन्य से समस्त सनातन धर्मावलम्बियों के लिए समर्पित है।
Tuesday, September 18, 2018
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आचार्य पं श्री गजाधर उपाध्याय
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Being arrogant, even loses in the field of knowledge- ------------------------------------------------ Knowledge grows in kn...
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जो सूर्यास्त के देश हैं, उनमें विज्ञान मिला है, वैज्ञानिक मिला है। जो सूर्योदय के देश ह...
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आज के दौर में दुनिया के सभी प्राचीन धर्मों की गर्दनों पर कम्युनिज्म अपनी उंगलीयां कस रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण त्रिविष्टप यानी तिब्बत है...
जय परशुराम!
ReplyDeleteधन्यवाद विप्रवर जय परशुराम।
ReplyDeleteकृपया कमेंट के साथ अपना नाम भी लिखें।
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